हाई सैलरी वाले लोगों का प्रविडेंट फंड भी आएगा टैक्स के दायरे में
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में एक तरफ जहां कम टैक्स दरों वाली वैकल्पिक कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है, वहीं दूसरी तरफ कुछ टैक्स सेविंग स्कीमों में निवेश की अधिकतम सीमा भी तय कर दी है। बजट प्रस्ताव के मुताबिक, टैक्स बेनिफिट देने वाली तीन निवेश स्कीमें EPF, नैशनल पेंशन स्कीम (NPS) तथा रिटायरमेंट फंड अब टैक्स के दायरे में आ सकते हैं, क्योंकि इसमें निवेश की 7.5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। हालांकि, इसका असर केवल हाई सैलरी पैकेज वाले कर्मचारियों पर ही पड़ेगा।
1 अप्रैल, 2021 से लागू1 अप्रैल, 2021 से एनपीएस, रिटायरमेंट फंड तथा प्रविडेंट फंड में एक साल में कुल निवेश की अधिकतम सीमा 7.5 लाख रुपये होगी और अगर इसके ऊपर निवेश किया जाता है तो वह टैक्सेबल होगा। बजट में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि पिछले साल कमाई गई ब्याज और लाभांश की रकम भी टैक्सेबल होगी।टैक्स का गणितइसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, किसी व्यक्ति की बेसिक सैलरी 30 लाख रुपये है, तो नियोक्ता द्वारा किया गया कुल अंशदान होगा...पीएफ में नियोक्ता का अंशदान- 3.60 लाख रुपयेएनपीएस- 3 लाख रुपयेरिटायरमेंट फंड- 1.50 लाख रुपयेकुल निवेश- 8.10 लाख रुपयेटैक्सेबल अमाउंट- 60,000 रुपये
अब तक नहीं थी कोई ऊपरी सीमाअब तक नियोक्ता द्वारा पीएफ तथा एनपीएस में अंशदान टैक्सफ्री था और इसकी कोई ऊपरी सीमा भी नहीं थी। नियोक्ता को ईपीएफ में बेसिक सैलरी का 12% तथा कर्मचारियों को एनपीएस में 10% का योगदान करना होता है। इसमें टैक्स छूट का भी लाभ उठाया जा सकता है।हाई सैलरी पैकेज वालों पर असरजिन लोगों की सैलरी कम है, उनपर इस प्रस्ताव का कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि हाई सैलरी इनकम वाले लोगों का सैलरी पैकेज इस तरह डिजाइन किया जाता है कि उनके वेतन का एक बड़ा हिस्सा इन तीनों फंड में डाला जा सके, ताकि सैलरी का यह हिस्सा टैक्स के दायरे में न आ सके।